Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विज }} {{KKPageNavigation |पीछे=खेलि-रास हरि दुरैं, बहुरि बन…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=खेलि-रास हरि दुरैं, बहुरि बन-कुंजन माँहीं / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=या बिधि बहु-लीला रचैं / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 5
}}
<poem>
'''दोहा'''
'''(संक्षिप्ततया नायक-वर्णन)'''

श्री राधा की कबहुँ हरि, जोवैं बन मैं बाट ।
लखि राधै हरि संभ्रमै, बर-अंगन कौ ठाट ॥४८॥
</poem>
916
edits