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बात होनी थी, होके रही / गुलाब खंडेलवाल
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20:52, 6 जुलाई 2011
गाँठ-सी बीच दो के रही!
बचके निकले थे तुम तो
,
गुलाब
याद काँटे चुभोके रही
<poem>
Vibhajhalani
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