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हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
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21:03, 6 जुलाई 2011
हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं
खुद
ख़ुद
आयें हैं चलकर वे इधर, देख रहे हैं
हम भी लगी जो आग उधर, देख रहे हैं
ख़ुद नाव बन गयी है भँवर, देख रहे हैं
शायद
किसी में
किसीमें
प्यार की धड़कन भी सुन पड़े
हर फूल में एक शोख़ नज़र देख रहे हैं
Vibhajhalani
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