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आँखों-आँखों मुस्कुराना ख़ूब है / गुलाब खंडेलवाल
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18:51, 8 जुलाई 2011
बेकहे आये, चले भी बेकहे
खूब
ख़ूब
था आना, ये जाना ख़ूब है!
हर क़दम पर, हर घड़ी हो साथ-साथ
Vibhajhalani
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