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ऐ ग़म! न छोड़ना हमें इस ज़िन्दगी के साथ / गुलाब खंडेलवाल
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18:54, 8 जुलाई 2011
हमने तो खेल-खेल में ख़ुद को लुटा दिया
अच्छा नहीं था खेलना ऐसे
किसी के
किसीके
साथ
लायेगी रंग एक दिन चुप्पी गुलाब की
कुछ कह गए हैं वह भी बड़ी सादगी के साथ
<poem>
Vibhajhalani
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