गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दिन ज़िन्दगी के यों भी गुज़र जायँ तो अच्छा! / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
19:11, 8 जुलाई 2011
हम इस ख़ुशी के दौर में मर जायँ तो अच्छा
यों तो न रुक सकी कभी कूची तेरी,
रंगसाज
रँगसाज़
!
फिर भी कभी ये हाथ ठहर जायँ तो अच्छा
Vibhajhalani
2,913
edits