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जब तेरा दर क़रीब होता है / गुलाब खंडेलवाल
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20:20, 8 जुलाई 2011
आये जब ताब देखने की नहीं
खूब
ख़ूब
दर्शन नसीब होता है!
दूर नज़रों से जा रहा है कोई
और दिल के
करीब
क़रीब
होता है
सामने उनके मुँह सिये हैं गुलाब
प्यार कितना ग़रीब होता है
<poem>
Vibhajhalani
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