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जब तेरा दर क़रीब होता है / गुलाब खंडेलवाल
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जब तेरा दर क़रीब होता है
हाल दिल का अजीब होता है
शाम झुकती है इन लटों की किधर!
कौन वह ख़ुशनसीब होता है!
आये जब ताब देखने की नहीं
ख़ूब दर्शन नसीब होता है!
दूर नज़रों से जा रहा है कोई
और दिल के क़रीब होता है
सामने उनके मुँह सिये हैं गुलाब
प्यार कितना ग़रीब होता है