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ओ गोरी! तेरा मन किसने छीना! / गुलाब खंडेलवाल
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21:07, 16 जुलाई 2011
तान मधुर भी हो नूपुर में
किन्तु और ही धुन है उर में
ताल-छंद-लय-
हीना
हीना
तू तो रँगी श्याम के रँग में
Vibhajhalani
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