Changes

<poem>
चिन्तक के लिये लिए अद्भुतऔर भावुक के लिये लिए करुण,
अंत में यही दो अनुभूतियाँ टिक पायी हैं;
देव के इस काव्य में
और चलचित्रों-सी क्षण-क्षण बदलती
जीवन की वास्तविकता
हमारे मन को करूणा करुणा से भर देती है.
यों तो हमारी चेतना
सदा किसी-न-किसी भाव-तरंग में उफनाती उफनती रहती है,पर वह कितनी भी उमड़े और लहराये
इन्हीं दो किनारों के बीच बहती है.
<poem>
2,913
edits