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23:01, 21 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>दुःखों में
डूबती ही गई
उबरने के लिए
पीडा.ओं को
सोख लिया
तीन आचमन में
पच गए हैं
सभी शोक संताप
मैं निःशेष
</poem>
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