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{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>रोम रोम से
सघन अंधकार को
पीते हुए

समाती गई
एक अहसास में

कि नींद ने
एक हाथ थामा है
दूसरा छोड़ दिया है
</poem>
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