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नींद ने यह क्या किया / वत्सला पाण्डे
Kavita Kosh से
रोम रोम से
सघन अंधकार को
पीते हुए
समाती गई
एक अहसास में
कि नींद ने
एक हाथ थामा है
दूसरा छोड़ दिया है