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कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया / गुलाब खंडेलवाल
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19:47, 22 जुलाई 2011
बहुत-से ऐसे भी जीवन में आ चुके हैं मोड़
जब उनके नाम को
होठों
होँठों
पे लाके छोड़ दिया
लहर हैं वह जिसे कोई भी किनारा न मिला
गुलाब, ऐसे ही खिलते हैं हम किसीने ज्यों
दिया
जला के
जलाके
मुक़ाबिल हवा के छोड़ दिया
<poem>
Vibhajhalani
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