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सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम / गुलाब खंडेलवाल
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20:06, 22 जुलाई 2011
फिर से शुरू करेंगे कहानी वहीं से हम
कहते
हो
हैं
जिसको प्यार, ख़ुमारी थी नींद की
सपना चुराके लाये थे कोई कहीं से हम
Vibhajhalani
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