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जुस्तजू बोसा-ए-दिलदार नहीं थी, कि जो है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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जुस्तजू बोसा-ए-दिलदार नहीं थी, कि जो है
ज़िन्दगी हुस्न
-ए-
परस्तार नहीं थी, कि जो है
सब इसी मुल्क में रहते थे कभी मिल जुलकर
SATISH SHUKLA
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