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16:23, 29 अगस्त 2011 चल चलें इक राह नूतन<br />
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भय न किंचित हो जहाँ पर<br />
पल्लवित सुख हो निरंतर<br />
अब लगाएं हम वहीँ पर<br />
बन्धु - निज आसन<br />
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द्वेष - ईर्ष्या को न प्रश्रय<br />
दुर्गुणों की हो पराजय<br />
हो जहाँ बस प्रेम की जय<br />
खिल उठे तन मन<br />