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मैं मुसाफिर ही रहूँगा उसने एसा क्यूँ कहा / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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04:33, 16 सितम्बर 2011
मैं मुसाफिर ही रहूँगा उसने एसा क्यूँ कहा
एक दिन मैं ढूंड लूंगा अपनी
मंजिल
मंज़िल
का पता
दौड़ कर उसका चिपटना मेरी बाहें थामना
Purshottam abbi "azer"
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