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धूप / रमेश तैलंग
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21:08, 17 सितम्बर 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तैलंग
|संग्रह=मेरे प्रिय बालगीत
/ रमेश तैलंग; उड़न खटोले आ
/ रमेश तैलंग
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
लिए हाथ में फूल छड़ी।
आंगन
आँगन
में है धूप खड़ी।
झरने जैसी झरती है।
अनिल जनविजय
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