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12:36, 23 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>ऊभा है लोग
मरण री तेवड़
कठै जावैला ?
०००
छूट रो नांव
कीं कैवण उठां तो
थे टूंपो गळा
०००
ऊंचो व्है घर
देस भलांई डूबै
ऐ कीड़ा कुण ?
०००
थांरा पोस्टर
भींतां सोभता काल
आज पगां में
०००
चौफेर हाका
अमूजतै लोगां रा
मूंढा खुलग्या
०००
</poem>