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बाढ़ १९७५ / रमेश रंजक
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06:30, 13 दिसम्बर 2011
बादल बरस रहे बचकाने
आँख मूँद कर दिए जा रहे
पर्वत को सिरहाने
बादल बरस रहे बचकाने
अनिल जनविजय
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