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ओठों पर शंख / पुष्पिता
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|संग्रह=हृदय की हथेली / पुष्पिता
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
काग़ज़ पर शब्द
जैसे
ओठों पर शंख।
मेरा मन
तुम्हारी स्मृतियों की
जीवन्त
पुस्तक।
पुस्तक ।
ईश्वर ने
हम दोनों में
बचाया
है--प्रेम
है—प्रेम
और हम दोनों ने
प्रेम में
ईश्वर…।
ईश्वर… ।
</poem>
अनिल जनविजय
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