Changes

'तुझे जलती हुई लौ ,मुझको परवाना लिखा जाए ये दिल कहता ह...' के साथ नया पन्ना बनाया
तुझे जलती हुई लौ ,मुझको परवाना लिखा जाए
ये दिल कहता है इक अच्छा सा अफ़साना लिखा जाए .


तेरी तस्वीर मेरे मुल्क हर जानिब से है अच्छी
तुझे कश्मीर ,शिमला या कि हरियाना लिखा जाए .


अदब की अंजुमन में अब न श्रोता हैं ,न दर्शक हैं
गज़ल किसके लिए ,किसके लिए गाना लिखा जाए .


जो शायर मुफ़लिसों की तंग गलियों से नहीं गुजरा
वो कहता है गज़ल में जाम -ओ -पैमाना लिखा जाए .


ये दरिया ,झील ,पर्वत ,वादियों को छोड़कर आओ
किताबों में दबे फूलों का मुरझाना लिखा जाए .


मुझे बदनामियों का डर है ,तुमसे कुछ नहीं कहता
शहर को छोडकर जाऊँ तो दीवाना लिखा जाए .


बहुत सच बोलकर मैं हो गया तनहा जमाने में
किसे अपना करीबी किसको बेगाना लिखा जाए .


बदलते दौर में शहजादियों का जिक्र मत करना
किसी मजदूर की बेटी को सुल्ताना लिखा जाए .


शहर का हाल अब अच्छा नहीं लगता हमें यारों
अब अपनी डायरी में कुछ तो रोजाना लिखा जाए .