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14:32, 27 फ़रवरी 2012 {{kkGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
|संग्रह=
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<poem>
प्रेम के, अठखेलियों के दिन गए
गाँव से भी मस्तियों के दिन गए
बन्द कमरा ,पास में बन्दूक़ भी
अब वो बेपरवाहियों के दिन गए
वीडियो चलते हैं शादी-ब्याह में
नाच के, नौटंकियों के दिन गए
हर गली में मजनुओं के झुण्ड हैं
दंगलों के, कुश्तियों के दिन गए
भाई - भाई में मुक़दमेबाज़ियाँ
देवरों के, भाभियों के दिन गए
</poem>