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|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
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प्रेम के, अठखेलियों के दिन गए
गाँव से भी मस्तियों के दिन गए

बन्द कमरा ,पास में बन्दूक़ भी
अब वो बेपरवाहियों के दिन गए

वीडियो चलते हैं शादी-ब्याह में
नाच के, नौटंकियों के दिन गए

हर गली में मजनुओं के झुण्ड हैं
दंगलों के, कुश्तियों के दिन गए

भाई - भाई में मुक़दमेबाज़ियाँ
देवरों के, भाभियों के दिन गए


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