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22:42, 11 मार्च 2012 {{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
उस तक भी पहुँचेगा नाला
देख रहा है ऊपर वाला
जिसका जी चाहे ले जाये
मैं हूँ बिन चाबी का ताला
दुश्मन से तो बच आया मैं
मार मुझे अपनों ने डाला
हुआ सयाना , उड़ा परिंदा
बचपन से था मैंने पाला
तुम सुनने की आदत डालो
कह ही देगा कहने वाला
कहाँ कहाँ तक 'मनु' बचोगे
हर सू है मकड़ी का जाला </poem>