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हँसती-खिलती सी गुड़िया, इक लम्हे में बेकार हुई / श्रद्धा जैन
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14:37, 23 मार्च 2012
<poem>
तेरे हाथों से छूटी जो, मिट्टी सी हमवार हुई
हंसती
हँसती
-खिलती सी गुड़िया, इक लम्हे में बेकार हुई
ज़ख्मों पर मरहम देने को, उसने हाथ बढाया था
Shrddha
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