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<poem>
तेरे हाथों से छूटी जो, मिट्टी सी हमवार हुई
हंसतीहँसती-खिलती सी गुड़िया, इक लम्हे में बेकार हुई
ज़ख्मों पर मरहम देने को, उसने हाथ बढाया था
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