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पावन दृष्टि संजो कर देखो / राजेश शर्मा
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12:34, 9 अप्रैल 2012
<poem>
पावन दृष्टि संजो कर देखो,आनन-आनन दरपन
है,
कण-कण कान्हा ,राधा
तृन
तृण
-
तृन
तृण
, कानन-कानन मधुबन है.
प्रकट करे मन की अभिलाषा ,संकेती लिपि मौन की भाषा.
राजेश शर्मा
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