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<poem>
पावन दृष्टि संजो कर देखो,आनन-आनन दरपन है, कण-कण कान्हा ,राधा तृनतृण-तृनतृण, कानन-कानन मधुबन है.
प्रकट करे मन की अभिलाषा ,संकेती लिपि मौन की भाषा.