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07:20, 30 सितम्बर 2007 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|संग्रह=सुकून की तलाश / शमशेर बहादुर सिंह
}}
वो अपनों की बातें, वो अपनों की ख़ु-बू
हमारी ही हिन्दी, हमारी ही उर्दू !
ये कोयल-ओ- बुलबुल के मीठे तराने :
हमारे सिवा इसका रस कौन जाने !