वो अपनों की बातें, वो अपनों की ख़ु-बू
हमारी ही हिन्दी, हमारी ही उर्दू !
ये कोयल-ओ- बुलबुल के मीठे तराने :
हमारे सिवा इसका रस कौन जाने !
वो अपनों की बातें, वो अपनों की ख़ु-बू
हमारी ही हिन्दी, हमारी ही उर्दू !
ये कोयल-ओ- बुलबुल के मीठे तराने :
हमारे सिवा इसका रस कौन जाने !