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|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=हवाओं के साज़ पर/ 'अना' क़ासमी
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<poem>
उसकी रहमत का इक सहाब<ref> बादल</ref> उतरे
मेरे कांधों से फिर हिसाब उतरे

ख़ुद से पूछो तबाहियों का सबब
आसमानो से क्यों जवाब उतरे

चश्में-इक़रार<ref>आँखों की स्वीकृति</ref> की चमक मत पूछ
झील में जैसे माहताब उतरे

तेरी पाज़ेब की झनक गूँजी
ताक़े-निसियाँ<ref>भूला बिसरा आला</ref> से फिर रूबाब<ref>एक प्रकार का वाद्य</ref> उतरे

इश्क़ शोला बजां<ref>आत्मा का जल उठना</ref> हो सीना<ref> वह पर्वत जहाँ मूसा नवी को ईश्वरीय प्रकाश की अनुभूति हुई</ref> पर
मल्क-ए-हुस्न पर किताब उतरे

रौशनी शहरे-जाँ में फैले कुछ
ताल-ए-दिल पे आफ़ताब उतरे
<poem>
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