गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई / मजाज़ लखनवी
1 byte removed
,
03:20, 22 सितम्बर 2012
या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई
होती है इस में हुस्न की तौहीन<ref> सौन्दर्य का अपमान </ref>
ऐ 'मज़ाज़',
इतना न अहल-ए-इश्क़ को रुसवा करे कोई
</poem>
{{KKMeaning}}
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits