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बारिशों में भीगना इतना भी है आसाँ कहाँ
मुद्दतों तपती ज़मीं तप कर तो धरती ने भी किया है इन्तज़ार
आसमाँ ! क्या अब तुझे भी लग गया बिरहा का रोग?