Changes

तुम / नीरज दइया

769 bytes added, 01:19, 16 मई 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>जपता हूं मैं
नाम तुम्हारा
या जपती है देह
नाम तुम्हारा?

तुम नदी हो या सागर
मैं बुला रहा हूं तुम्हें
या तुम ही आ रही हो दौड़ती हुई
मेरे पास....
·हीं ऐसा तो नहीं
·ि बुलाती हो तुम
और दौड़ रहा हूं मैं!

खैर जो भी हो
मिलना तो तय है-
हमारा!</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits