गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तुम्हारा वक़्त / अरुण देव
3 bytes removed
,
04:57, 10 जुलाई 2013
कुछ चीज़ें अभी भी रह गई हैं
मटमैली नदी की धार के पत्तों पर रखा दीप, जलता बुझता फिर भी जलता हुआ
रह गईं हैं छत पर
ओंस
ओस
की बून्दें
बून्दों में चमकता जल
जल से बह निकला सूरज का सुनहलापन
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,708
edits