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14:58, 1 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जौहर शफियाबादी
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<poem>जमजम चाहे गंगाजल,
बैरी ह दूनू के छल
रहिया राहता देख के चल
मोह के महकल बा जंगल
साँच बखानत चूक भइल बा
मन में बा हलचल-हलचल
रउआ जिहीं लाख बरीस
हमरा खातिर पल-द पल
हम मरुथल के चान झुराइल
तू रसवन्ती ताजमहल
भोजपुरी में हमरो बाटे
गलिब जइसन चोख गजल
नेह नयन से नाता जोड़
छोड़ ‘जौहर’ दल दलदल
</poem>