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नहर / मदन गोपाल लढ़ा
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|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
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Poem
poem
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नहर ओळखै है
आपरी हद
ढ़ांपण वेगी
उघाड़ा धोरियां नै।
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Poem
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>
Sharda suman
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