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म्हारो मन । / मदन गोपाल लढ़ा
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|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
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Poem
poem
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थूं ओझा !
कीलै है फगत जाड़
उखण्यां फिरूं
आखै मुलक री पीड़ नै।
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Poem
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Sharda suman
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