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पाडो / रूपसिंह राजपुरी
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04:00, 18 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatRajasthaniRachna
}}{{KKCatKavita}}<poem>पक्को राग गाण लागयो,
कब्बाल जी बाडो।
खूब लम्बी हेक काडी,
Sharda suman
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प्रबंधक
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