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04:29, 18 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}
<poem>चंदो
मेड़ी ऊपराकर
उचक’र
ताळ मांय झांक्यो
पण बैरी हा
धोळा धोरा
आय बिचाळै
चानणी-चूंदड़ी
खोस लीनी
ओढ’र पसरग्या।</poem>
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