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07:44, 26 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
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<poem>मैं अपनी नज्मों से
इश्क़ के सारे फूल
तुम्हारे पैरों पर रख दूंगी
तुम उन्हें …
गीतों में पिरोकर
मुहब्बत को
इक नया अर्थ देना ….
</poem>
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