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मैं ख़ैरियत से हूं हूँ लेकिन कहो कैसे हो तुम 'राजा'
बहुत दिन क्यों रहे तुम फ़िल्म की दुनिया में ग़ुम 'राजा'
ये दुनिया-ए-अदब से क्यों किया तुमने किनारा था
अदब की, शेर की दुनिया में तुम लौट आए, अच्छा है
अरे लिखवा लो नज़्में ! फिर से तुम चिल्लाए, अच्छा है
मगर फिर सोचता हूं हूँ शेर लिखकर क्या करोगे तुम ?
ये अन्दाज़ा है मेरा गालिबा भूखे मरोगे तुम
ये बेहतर है किसी मिल में नौकरी कर लो