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08:54, 19 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=बुन्देली
}}
<poem>
कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी।
सावन गरजे भादों बरसे
बिजुरी चमके न्यारी (कन्हैया)
मोर जो नाचे पपीहा बोले
कोयल कूके प्यारी (कन्हैया)
नन्हीं-नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे
छाई घटा अंधियारी (कन्हैया)
सब सखियां मिल गाना गाए
नाचे दे दे तारी (कन्हैया)
</poem>