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यह चमक ज़ख़्मे-सर से आई है / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
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03:22, 24 मार्च 2014
सारी ख़ुशबू उधर से आई है
सा~म्स
साँस
लेने दो कुछ हवा को भी
थकी हारी सफ़र से आई है
द्विजेन्द्र द्विज
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