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11:30, 31 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुमन केशरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
कभी ले चलो न चंबल-तट पर
मुझे प्रिय
तुम नहीं जानते
मैंने तुम्हें पहली बार
वहीं विचरते देखा था
एकाकी मन
तुम नहीं जानते
तुम्हे पिछुआती...खोजती ...पुकारती
जाने कब से खड़ी हूँ मैं
एकाकी तन
मुझे मुझसे ही मिलवा दो न
चंबल-तट पर
मेरे प्रिय...
</poem>