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13:40, 17 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हुसैनी वोहरा
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
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{{KKCatKavita}}
<Poem>पतझड़ रा पात ज्यूं
संबंध आजकाल होयग्या
पल मांय बण जावै
तूट जावै छिन मांय
तूटै ज्यूं डोर।
संबंधां रो मोल
अब नीं दिखै
संबंध बणग्यो
मतलब रो दूजो नांव
इण खातर ई
बणावां अर तोड़ देवां
निभावां संबंध
दिखावै सारू....
कैयो नीं आज संबंध
होयग्या है-
पतझड़ रा पात ज्यूं।</poem>