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14:06, 17 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवकरण जोशी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>पड़ग्यो लागै
अबकाळै
देसूं-देस काळ
ईं सोच में
रामलो मर्यो जावै
अर काढै गाळ
मरग्यो रामलो
बरस्यो कोनी अबकाळै।</poem>
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