भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रामलो अर रामलो / देवकरण जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पड़ग्यो लागै
अबकाळै
देसूं-देस काळ
ईं सोच में
रामलो मर्यो जावै
अर काढै गाळ
मरग्यो रामलो
बरस्यो कोनी अबकाळै।