Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>झगड़ू बंदर ने रगड़ू,
भालू से हाथ मिलाया|
बोला तुमसे मिलकर तो,
प्रिय बहुत मज़ा है आया|

रगड़ू बोला हाथ मिले,
तो मन भी तो मिल जाते|
अच्छे मित्र वही होते,
जो काम समय पर आते|

कठिन समय पर काम नहीं,
जो कभी मित्र के आता|
मित्र कहां ? अवसर वादी,
वह तो गद्दार कहाता|
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits