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17:35, 29 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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<poem>
बेसन की मिठाई है आई रे,
मोरे मम्मा ने भेजी|
मम्मा ने भेजी और माईं ने भेजी|
बेसन की मिठाई है आई रे,
मोरे मम्मा ने भेजी|
देखो मिठाई है कितनी गुरीरी|
घी की बनी है और रंग की है पीरी|
माईं ने ममता मिलाई रे,
मोरे मम्मा ने भेजी|
काजू डरे हैं और किसमिस डरी है|
पिस्ता की रंगत तो कैसी हरी है|
सिंदूरी केसर मिलाई रे|
मोरे मम्मा ने भेजी|
नाना ने मीठे के डिब्बा बनाये|
नानी ने रेशम के धागे बंधाये|
जी भरकें आशीष भिजवाई रे
मोरे मम्मा ने भेजी|
डिब्बा में निकरीं हैं सतरंगी चिठियां|
चिठियों में लिक्खी कैसी मीठी बतियां|
चांदी सी चमके लिखाई रे|
मोरे मम्मा ने भेजी|
बेसन की मिठाई है आई रे,
मोरे मम्मा ने भेजी|</poem>