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18:07, 29 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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<poem>
दो चूहों को मिले सड़क पर,
काले हाथी दादा|
उन्हें देख बोला इक चूहा
क्या है यार इरादा?
कई दिनों से हाथ सुस्त हैं,
कसरत ना हो पाई|
क्यों ना हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई|
बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह भाई |
किसी अकेले से दो मिलकर ,
कर दे हाथापाई
दुनियाँ वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा,
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा|</poem>